- 🔎 1. केस का परिचय (Case Introduction)
- 🧾 2. तथ्यात्मक पृष्ठभूमि (Factual Background)
- ⚖️ 3. मुख्य कानूनी प्रश्न (Legal Issue)
- 🧑⚖️ 4. न्यायालय का दृष्टिकोण (Court’s Observation)
- 📚 5. उद्धृत सुप्रीम कोर्ट निर्णय (Cited SC Judgments)
- 📌 6. निर्णय (Judgment)
- 📋 7. निष्कर्ष (Conclusion)
- 🖋️ 8. लेखक टिप्पणी (Author’s Note)
- 📎 निर्णय की कॉपी डाउनलोड करें:
🔎 1. केस का परिचय (Case Introduction)
यह मामला श्री शिवाकर सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य से संबंधित है, जिसमें याची ने 2015 से 2018 तक की उस अवधि का बकाया वेतन (Back Wages) माँगा, जब वे आपराधिक मामले में जेल में निरुद्ध थे।
🧾 2. तथ्यात्मक पृष्ठभूमि (Factual Background)
- याची: श्री शिवाकर सिंह
- पद: कर्मचारी, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड
- आरोप: रिश्वत मांगने व प्राप्त करने का अपराध, दर्ज एफआईआर संख्या 01/15
- अवधि: जेल में निरुद्ध रहे – 23.01.2015 से 18.12.2018
- परिणाम: विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार अधिनियम) द्वारा बरी कर दिया गया
- याचिका: उक्त अवधि का वेतन व सेवा की निरंतरता (continuity of service) हेतु याचिका
⚖️ 3. मुख्य कानूनी प्रश्न (Legal Issue)
क्या कोई कर्मचारी जो न्यायिक अभिरक्षा (judicial custody) में था और बाद में बरी (acquitted) हो गया, वह उस अवधि के लिए वेतन पाने का हकदार है?
🧑⚖️ 4. न्यायालय का दृष्टिकोण (Court’s Observation)
- याची की अनुपस्थिति स्वैच्छिक नहीं, बल्कि आरोप के कारण हुई गिरफ्तारी के कारण थी।
- न तो याची को विभाग ने निलंबित किया, न ही सेवा से पृथक किया।
- विभाग ने कोई ऐसा आदेश पारित नहीं किया जिससे उसकी सेवा बाधित हुई हो।
🔹 न्यायालय ने कहा:
❝ The petitioner was not prevented from service by the employer; he was in custody due to his own conduct. Therefore, the principle of ‘No Work – No Pay’ squarely applies. ❞
📚 5. उद्धृत सुप्रीम कोर्ट निर्णय (Cited SC Judgments)
- RBI v. Bhopal Singh Panchal (1994)
- Ranchhodji Chaturji Thakore v. GEB, (1996) 11 SCC 603
❝ Even where reinstatement is ordered, the grant of back wages is not automatic. It depends upon facts and circumstances of the case. ❞ - Union of India v. Jaipal Singh (2004) 1 SCC 121
📌 6. निर्णय (Judgment)
- याची की वेतन याचिका अस्वीकार की गई।
- सेवा की अवधि को पेंशन प्रयोजन हेतु निरंतर माना जाएगा।
❝ For the purposes of pensionary benefits, the said period may be treated as part of continuous service. ❞
📋 7. निष्कर्ष (Conclusion)
यह निर्णय स्पष्ट रूप से स्थापित करता है कि:
- यदि कर्मचारी अपनी गिरफ्तारी या न्यायिक अभिरक्षा के कारण सेवा नहीं दे सका हो, तो वह वेतन का अधिकारी नहीं हो सकता।
- No Work – No Pay सिद्धांत केवल अनुशासनात्मक मामलों में नहीं, बल्कि ऐसी परिस्थितियों में भी लागू होता है जहाँ कर्मचारी स्वाभाविक रूप से सेवा देने में असमर्थ रहा हो।
- आरोपमुक्त होना वेतन पाने का स्वतः आधार नहीं बनता।
🖋️ 8. लेखक टिप्पणी (Author’s Note)
यह केस स्टडी सरकारी सेवा मामलों में ‘कर्तव्य निर्वहन बनाम अधिकार की मांग’ के विवाद में दिशा प्रदान करती है। यह विशेष रूप से उन मामलों में उपयोगी है जहाँ कारावास के पश्चात वेतन या सेवा लाभों की मांग की जाती है।
📎 निर्णय की कॉपी डाउनलोड करें:
आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके इस आदेश की PDF प्रतिलिपि डाउनलोड कर सकते हैं:
👉 डाउनलोड करें — Judgment PDF (Shivakar Singh v. State of U.P.)