🗂️ केस विवरण

  • केस नाम: Dinesh Kumar Shukla v. State of U.P. & Others

  • अपील संख्या: Special Appeal Defective No. 20 of 2025

  • निर्णय दिनांक: 17 जनवरी 2025

  • पीठ: मा. मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली व मा. न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता

  • न्यायालय: उच्च न्यायालय, इलाहाबाद – लखनऊ पीठ

🧾 पृष्ठभूमि

श्री दिनेश कुमार शुक्ला, जो पुलिस विभाग में Deputy Inspector के पद पर कार्यरत हैं, को दिनांक 10.06.2024 को जिला बाराबंकी से जिला प्रयागराज स्थानांतरित किया गया। याची ने स्थानांतरण को चुनौती दी:

  • पहले writ petition (Writ-A No. 4805/2024) में आंशिक राहत मिली कि प्रतिवेदन निर्णय तक कार्यभार न ग्रहण करें।

  • प्रतिवेदन 15.07.2024 को खारिज हुआ।

  • इसके विरुद्ध दूसरी रिट याचिका भी 13.11.2024 को खारिज हुई।

  • अब विशेष अपील (Special Appeal) दायर की गई।

🧑‍💼 याची की प्रमुख दलील

याची ने राज्य सरकार की स्थानांतरण नीति दिनांक 11.06.2024 की क्लॉज 5(v) का हवाला दिया:

🟦 Clause 5(v):
“As far as possible, an employee nearing retirement should be posted in a nearby district to his home district.”

उनका तर्क था कि 31.03.2026 को सेवानिवृत्त होने के कारण, उन्हें प्रयागराज के बजाय बाराबंकी के समीप ज़िले में पोस्ट किया जाना चाहिए।

⚖️ न्यायालय का दृष्टिकोण

  1. पुलिस विभाग के लिए विशेष स्थानांतरण आदेश दिनांक 24.07.2015 लागू है।

  2. इस नीति के अनुसार “नज़दीकी जनपद में पोस्टिंग” की सुविधा केवल non-gazetted कर्मियों को उपलब्ध है।

  3. याची Deputy Inspector हैं, जो कि राजपत्रित श्रेणी में आते हैं।

🟨 उद्धरण:
❝ Clause 5(v) is only directory and not mandatory. It does not confer any indefeasible right upon the employee. ❞
— Para 12, Judgment

❝ The policy dated 24.07.2015 clearly excludes Inspector and Deputy Inspector from the benefit of posting near home district. ❞
— Para 13, Judgment

🎯 न्यायालय का निष्कर्ष

  • नीति में “as far as possible” कोई बाध्यकारी आदेश नहीं, बल्कि प्रशासनिक विवेक है।

  • याची का मामला विशेष विभागीय नीति के तहत आता है, सामान्य ट्रांसफर गाइडलाइन से नियंत्रित नहीं होता।

  • कर्मचारी को मनपसंद स्थान पर पोस्टिंग का कोई मौलिक या विधिक अधिकार नहीं है।

🟥 अंतिम आदेश:

❝ The appeal has no substance. The same is, therefore, dismissed. ❞
— Final Para, Judgment dated 17.01.2025

📘 निष्कर्ष:

यह निर्णय स्पष्ट करता है कि:

✅ स्थानांतरण एक प्रशासनिक कार्य है, न कि कानूनी अधिकार।
✅ “As far as possible” जैसे शब्द नीति को लचीला बनाते हैं, बाध्यकारी नहीं।
✅ विभागीय विशिष्ट नीतियां, सामान्य गाइडलाइन पर वरीयता रखेंगी।
✅ न्यायालय हस्तक्षेप तभी करेगा जब स्थानांतरण में mala fide, भेदभाव या नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हो।

🖋 लेखक टिप्पणी:

इस फैसले से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत उभरता है — “स्थानांतरण में नीति मार्गदर्शक है, अधिकार नहीं।”
कर्मचारी को अपने सेवा-समापन के निकट गृहजनपद के समीप पोस्टिंग की अपेक्षा हो सकती है, किंतु वह दावा नहीं।

📎 निर्णय की कॉपी डाउनलोड करें:

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