• हाईकोर्ट ने तत्कालीन खेल निदेशक को पदावनत करने का आदेश निरस्त किया।

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सेवा विधि के एक अहम फैसले में कहा कि किसी अधिकारी को सुनवाई का मौका दिए बगैर पदावनत नहीं किया जा सकता। इस नजीर के साथ कोर्ट ने 20 साल पहले खेल निदेशक की पदावनति का आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने याची को खेल निदेशक पद के सभी परिणामी लाभ प्रदान करने का आदेश भी दिया है।

न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल पीठ ने यह फैसला तत्कालीन खेल निदेशक विजय सिंह चौहान की याचिका को मंजूर करके दिया। याची ने 28 अप्रैल 2003 के पदावनति के आदेश को चुनौती दी थी। इसके तहत याची को खेल निदेशक से उप खेल निदेशक पद पर पदावनत कर इस पद को मेरठ से अटैच कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा मामले के रिकार्ड से पता चलता है कि याची को आरोप पत्र नहीं दिया गया। न ही उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही ही शुरु की गई। जिससे उसे पदावनत करने के नतीजे पर पहुंचा जा सके। ऐसे में प्रश्नगत 28 अप्रैल 2003 का आदेश साफ तौर पर अवैधानिक है जो कानूनन ठहरने योग्य नहीं है। यह आदेश एक पक्षीय व याची को सुनवाई का मौका दिए बगैर पारित किया गया। लिहाजा इसे निरस्त किया जाता है। कोर्ट ने याची को खेल निदेशक पद के सभी परिणामी लाभ भी प्रदान करने का आदेश दिया।