📌 मामला: विजय कुमार मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
📌 न्यायिक मंच: राज्य लोक सेवा अधिकरण, लखनऊ
📌 निर्णय दिनांक: 4 मार्च 2024
📌 न्यायमूर्ति: श्री जितेन्द्र कुमार सिंह, सदस्य (न्यायिक)
🔍मामले का संक्षिप्त विवरण
याचिकाकर्ता श्री विजय कुमार मिश्रा, एक वरिष्ठ आबकारी अधिकारी को दिनांक 24 जून 2013 को निलंबित किया गया। विभागीय जांच के उपरांत उन्हें केवल ‘चेतावनी’ दी गई और 17 अक्टूबर 2013 को सेवा में पुनः बहाल कर दिया गया।
मूल विवाद:
निलंबन अवधि (24.06.2013 से 17.10.2013) का वेतन व भत्ते सरकार द्वारा रोके गए थे, जबकि याचिकाकर्ता ने दलील दी कि चेतावनी कोई विधिसम्मत दंड नहीं है और जब विभागीय कार्यवाही में कोई गंभीर आरोप सिद्ध नहीं हुआ, तो पूरी वेतन-भत्ता देय है।
⚖️ याचिकाकर्ता की प्रमुख दलीलें
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चेतावनी को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के अंतर्गत दंड नहीं माना गया है।
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अन्य समकक्ष अधिकारियों को निलंबन अवधि का वेतन प्राप्त हुआ है, जबकि याचिकाकर्ता को इससे वंचित किया गया।
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Fundamental Rule 54-B के अनुसार यदि निलंबन पूर्णतः अनुचित पाया जाए, तो निलंबन अवधि को सेवा में मानी जाती है और वेतन देय होता है।
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पूर्व निर्णय जैसे Tribhuvan Nath Khare (2010), Virendra Kumar और Arun Kumar Singh आदि का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने सिद्ध किया कि चेतावनी मिलने पर वेतन रोका नहीं जा सकता।
📜 प्रशासन की दलील
सरकार ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने आजमगढ़ में आबकारी अधिकारी के रूप में कार्य करते समय अनियमितता की थी। उन्हें विभागीय कार्यवाही के अंतर्गत चेतावनी दी गई, अतः निलंबन अवधि को सेवा में नहीं माना जा सकता।
🏛️ अधिकरण का निर्णय
राज्य लोक सेवा अधिकरण ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा:
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चेतावनी को विधिक रूप से दंड नहीं माना गया है।
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विभागीय कार्यवाही में कोई प्रमुख दोष सिद्ध नहीं हुआ।
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निलंबन आदेश जब अवैध पाया गया, तो पूर्ण वेतन व भत्तों का भुगतान अनिवार्य हो जाता है।
🔔 निर्देश: सरकार को आदेशित किया गया कि वह 03 माह के भीतर याचिकाकर्ता को निलंबन अवधि (24.06.2013 से 17.10.2013) का बकाया वेतन व भत्ते प्रदान करे।
📚 न्यायिक महत्व
यह निर्णय न केवल एक कर्मचारी के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि—
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चेतावनी मात्र से किसी कर्मचारी को दंडित नहीं माना जा सकता।
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सेवा नियमों के तहत न्यायसंगत प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है।
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समान परिस्थितियों में कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार अपेक्षित है।
📁 स्रोत: विजय कुमार मिश्रा बनाम राज्य सरकार, निदेश याचिका संख्या 1641/2014, दिनांक 04.03.2024