उत्तर प्रदेश अस्थायी सरकारी सेवक (सेवा-समाप्ति) नियमावली, 1975[1]

1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ तथा लागू होना

(1) यह नियमावली उत्तर प्रदेश अस्थायी सरकारी सेवक (सेवा-समाप्ति) नियमावली, 1975 कहलायेगी।

(2) यह नियम और नियम 2, 3 तथा 4 दिनांक 30 जनवरी, 1953 से प्रवृत्त हुये समझे जायेंगे और नियम 5 तुरन्त प्रवृत्त होगा।

(3) यह नियमावली उन सभी व्यक्तियों पर लागू होगी जो उत्तर प्रदेश के कार्यों से सम्बद्ध किसी असैनिक पद (सिविल पोस्ट) पर हों और जो राज्यपाल के द्वारा बनाये गये नियमों से नियंत्रित होते हों, किन्तु जिनका उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन किसी स्थायी सरकारी पद पर स्वत्व न हो।

2. परिभाषा

इस नियमावली में ‘‘अस्थायी सेवा” का तात्पर्य उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन किसी अस्थायी पद पर स्थानापन्न या मूल सेवा से अथवा किसी स्थायी पद पर स्थानापन्न सेवा से है।

3. सेवा की समाप्ति

(1) इस विषय पर विद्यमान किसी नियम या आदेश में किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी अस्थायी सेवा में स्थित किसी सरकारी सेवक की सेवा किसी भी समय या तो सरकारी सेवक द्वारा नियुक्ति प्राधिकारी को या नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा सरकारी सेवक को, लिखित रूप में दी गयी नोटिस द्वारा समाप्त की जा सकेगी।

(2) नोटिस की अवधि एक मास तक होगी :

प्रतिबन्ध यह है कि ऐसे किसी सरकारी सेवक की सेवा तुरन्त समाप्त की जा सकेगी, और ऐसी समाप्ति पर सरकारी सेवक, नोटिस की अवधि के लिये या यथास्थिति ऐसी नोटिस एक मास से जितनी कम हो उतनी अवधि के लिये उसी दर पर अपने वेतन तथा भत्ते की (यदि कोई हो) धनराशि के बराबर धन के दावेदार होने का हकदार होगा, जिस दर पर वह उनको अपनी सेवा समाप्ति के ठीक पहले पा रहा था :

अग्रेतर प्रतिबन्ध यह है कि यदि नियुक्त प्राधिकारी चाहे तो वह सरकारी सेवक से नोटिस के बदले में किसी शास्ति का भुगतान करने की अपेक्षा किये बिना किसी सरकारी सेवक को किसी नोटिस के बिना अवमुक्त कर सकेगा या कम अवधि की नोटिस स्वीकार कर सकेगा :

 प्रतिबन्ध यह भी है कि किसी ऐसे सरकारी सेवक द्वारा, जिसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही विचाराधीन या आसन्न हो, दी गयी नोटिस तभी प्रभावी होगी, जब वह नियुक्त प्राधिकारी द्वारा स्वीकार कर ली जाये, किन्तु किसी आसन्न अनुशासनिक कार्यवाही की दशा में सरकारी सेवक को उसकी नोटिस स्वीकार न किये जाने की सूचना नोटिस की समाप्ति के पूर्व दी जायेगी

4. अपवाद

इस नियमावली में किसी बात के होते हुए भी, निम्‍नलिखित श्रेणियों के व्यक्तियों की पदावधि या नियुक्ति या सेवायोजन की पदावधि, निरन्तरता उनकी नियुक्ति या सेवायोजन की शर्तों द्वारा नियन्त्रित होगी और इस नियमावली की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायगा कि उनकी नियुक्ति या सेवायोजन की समाप्ति के पूर्व उनको या उनके द्वारा एक मास की नोटिस या उसके बदले में वेतन या शास्ति देना अपेक्षित है-

(क) वे व्यक्ति जो संविदा पर नियुक्त हों;

(ख) वे व्यक्ति जो सरकार के पूर्णकालिक सेवायोजन में न हों;

(ग) वे व्यक्ति जिन्हें आकस्मिक व्यय की धनराशि से अदायगी की जाती हो;

(घ) वे व्यक्ति जो कार्य-प्रभारित प्रतिष्ठान में सेवायोजित हों;

(ङ) वे व्यक्ति जिन्हें अधिवर्षिता के पश्चात् पुनः सेवायोजित किया जाय;

(च) वे व्यक्ति जिन्हें विनिर्दिष्ट अवधि के लिए सेवायोजित किया जाये और जिनकी सेवा का पर्यवसान उस अवधि के व्यतीत होने पर स्वतः हो जाये;

(छ) वे व्यक्ति जिन्हें विनिर्दिष्ट अवधि के लिए इस शर्त पर सेवायोजित किया जाय कि उस अवधि में किसी भी समय कमी की जा सकती है।

(ज) वे व्यक्ति जिन्हें अल्पकालिक व्यवस्था या रिक्तियों में नियुक्त किया जाय और जिनकी सेवा का पर्यवसान उस व्यवस्था या रिक्ति की समाप्ति पर स्वतः हो जाय।

5. विखण्डन और अपवाद

(1) नियुक्ति (ख) विभाग की अधिसूचना संख्याः 230/2-बी-1953, दिनांक 30 जनवरी, 1953 के साथ प्रख्यापित नियम उसी दिनांक से विखण्डित हो जायेगा।

(2) ऐसे विखण्डन के होते हुये भी यह समझा जायगा कि उक्त नियम के अधीन जो कुछ किया गया था, किया जाना अभिप्रेत हो या जो कार्यवाही की गई या की गई अभिप्रेत हो वह इस नियमावली के अधीन किया गया या की गई है।

                                                            ___________________

[1]नियुक्ति अनुभाग-3, अधिसूचना संख्या : 20/1/74, दिनांक 11 जून, 1975