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उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली, 1991[1]

भाग-एक प्रारम्भिक

नियम 1- संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ 

(1) यह नियमावली उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली, 1991 कही जायेगी।

(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।

नियम 2-लागू होना  

यह नियमावली उन सभी सरकारी सेवकों पर लागू होगी जिनकी भर्ती और सेवा की शर्तों के सम्बन्ध में राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन नियमावली बनायी जायेगी या बनायी जा चुकी है।

नियम 3-अध्यारोही प्रभाव

यह नियमावली इससे पूर्व बनायी गयी किसी अन्य सेवा नियमावली में किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी प्रभावी होगी।

नियम 4- परिभाषाएं

जब तक कि विषय के सन्दर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस नियमावली में–

(क) किसी सेवा के सम्बन्ध में “नियुक्त अधिकारी” का तात्पर्य सुसंगत सेवा नियमावलियों के अधीन ऐसी सेवा में नियुक्तियां करने के लिए सशक्त प्राधिकारी से है;

(ख) संवर्ग” का तात्पर्य किसी सेवा की सदस्य संख्या, या किसी पृथक इकाई के रुप में स्वीकृत सेवा के किसी भाग से है;

(ग) आयोग” का तात्पर्य यथास्थिति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, या उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से है;

(घ) समिति” का तात्पर्य सुसंगत सेवा नियमावलियों के अधीन सेवा में नियुक्ति के लिये चयन करने हेतु गठित समिति से है;

(ङ) पोषक ‘संवर्ग” का तात्पर्य सेवा के उस संवर्ग से है जिसके सदस्यों में से सुसंगत सेवा में नियमावलियों के अधीन उच्चतर सेवा या पद पर पदोन्नति की जाय;

(च) सेवा” का तात्पर्य उस सेवा से है जिसमें सेवा के सदस्यों की ज्येष्ठता अवधारित की जानी है;

(छ) सेवा नियमावली” का तात्पर्य संविधान के अनुच्‍छेद 309 के परन्तुक के अधीन बनायी गयी नियमावली से है और जहां ऐसी नियमावली न हो सुसंगत सेवा में नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा जारी किये गये कार्यपालक अनुदेशों से है;

(ज) मौलिक नियुक्ति” का तात्पर्य सेवा के संवर्ग में किसी पद पर ऐसी नियुक्ति से है जो तदर्थ नियुक्ति न हो और उस सेवा से सम्बन्धित सेवा नियमावली के अनुसार चयन के पश्चात् की गयी हो।

(झ) वर्ष” का तात्पर्य जुलाई के प्रथम दिवस से प्रारम्भ होने वाली बारह मास की अवधि से है।

भाग-दो

ज्येष्ठता की अवधारणा

नियम 5-उस स्थिति में ज्येष्ठता जब केवल सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियां की जाएं 

जहां सेवा नियमावली के अनुसार नियुक्तियां केवल सीधी भर्ती द्वारा की जानी हों वहां किसी एक चयन के परिणामस्वरूप नियुक्त किए गए व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता वही होगी जो यथास्थिति, आयोग या समिति द्वारा तैयार की गयी योग्यता सूची में दिखायी गई है:

प्रतिबन्ध यह है कि सीधे भर्ती किया गया अभ्यर्थी अपनी ज्येष्ठता खो सकता है, यदि किसी रिक्त पद का उसे प्रस्ताव किये जाने पर वह विधिमान्य कारणों के बिना कार्यभार ग्रहण करने में विफल रहता है, कारणों की विधि मान्यता के सम्बन्ध में नियुक्ति अधिकारी का विनिश्चय अन्तिम होगा:

अग्रेतर प्रतिबन्ध यह है कि पश्चातवर्ती चयन के परिणाम स्वरूप नियुक्त किये गए व्यक्ति पूर्ववर्ती चयन के परिणामस्वरूप नियुक्त किये गये व्यक्तियों से कनिष्ठ रहेंगे।

स्पष्टीकरण-जब एक ही वर्ष में नियमित और आपात भर्ती के लिए पृथक-पृथक चयन किये जायें तो नियमित भर्ती के लिए किया गया चयन पूर्ववर्ती चयन माना जायेगा।

नियम 6-उस स्थिति में ज्येष्ठता जब केवल एकल पोषक संवर्ग से पदोन्नति द्वारा नियुक्तियां की जाएं

जहां सेवा नियमावली के अनुसार नियुक्तियां केवल एक पोषक संवर्ग से पदोन्नति द्वारा की जानी हो वहां इस प्रकार नियुक्त व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता वही होगी जो पोषक संवर्ग में थी।

स्पष्टीकरण-पोषक संवर्ग में ज्येष्ठ कोई व्यक्ति, भले ही उसकी पदोन्नति पोषक संवर्ग में उससे कनिष्ठ के पश्चात् की गयी हो, उस संवर्ग में जिसमें उनकी पदोन्नति की जाय, अपनी वही ज्येष्ठता पुनः प्राप्त कर लेगा जो पोषक संवर्ग में थी।

नियम 7-उस स्थिति में ज्येष्ठता जब कई पोषक संवर्गो से केवल पदोन्नति द्वारा नियुक्तियां की जाएं

जहां सेवा नियमावली के अनुसार नियुक्तियाँ एक से अधिक पोषक संवर्गो से केवल पदोन्नति द्वारा की जाती हों वहां किसी एक चयन के परिणाम स्वरुप नियुक्त किये गये व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता उनके अपने-अपने पोषक संवर्ग में उनकी मौलिक नियुक्ति के आदेश के दिनांक के अनुसार अवधारित की जायेगी।

स्पष्टीकरण –जहां पोषक संवर्ग में मौलिक नियुक्ति के आदेश में कोई ऐसा विशिष्ट पूर्ववर्ती दिनांक विनिर्दिष्ट हो, जिससे कोई व्यक्ति मौलिक रुप से नियुक्त किया जाय तो वह दिनांक मौलिक नियुक्ति के आदेश का दिनांक माना जाएगा और अन्य मामलों में इसका तात्पर्य आदेश जारी किये जाने के दिनांक से होगा:

प्रतिबन्ध यह है जहां पोषक संवर्ग के वेतनमान भिन्न हों तो उच्चतर वेतनमान वाले पोषक संवर्ग से पदोन्नत व्यक्ति निम्‍नतर वेतनमान वाले पोषक संवर्ग से पदोन्नत व्यक्तियों से ज्येष्ठ होंगे।

अग्रतर प्रतिबन्ध यह है कि पश्चातवर्ती चयन के परिणामस्वरूप नियुक्त व्यक्ति पूर्ववर्ती चयन के परिणामस्वरूप नियुक्त व्यक्तियों से कनिष्ठ होंगे।

नियम 8-उस स्थिति में ज्येष्ठता जब नियुक्तियां पदोन्नति और सीधी भर्ती से की जाय 

जहां सेवा नियमावली के अनुसार नियुक्तियां पदोन्नति और सीधी भर्ती दोनों प्रकार से की जानी हों वहां इस प्रकार नियुक्त व्यक्तियों की ज्येष्ठता उनकी मौलिक नियुक्ति के आदेश के दिनांक से निम्‍नलिखित उप नियमों के उपबंधों के अधीन अवधारित की जायेगी और यदि दो या अधिक व्यक्ति एक साथ नियुक्त किए जाएं तो उस क्रम में अवधारित की जायेगी जिसमें उनके नाम नियुक्ति के आदेश में रखे गए हैं:

प्रतिबन्ध यह है कि यदि नियुक्ति के आदेश में कोई ऐसा विशिष्ट पूर्ववर्ती दिनांक विनिर्दिष्ट हो जिससे कोई व्यक्ति मौलिक रूप से नियुक्त किया जाय, तो वह दिनांक मौलिक नियुक्ति के आदेश का दिनांक माना जाएगा और अन्य मामलों में इसका तात्पर्य आदेश जारी किये जाने के दिनांक से होगा:

अग्रतर प्रतिबन्ध यह है कि सीधे भर्ती किया गया कोई अभ्यर्थी अपनी ज्येष्ठता खो सकता है यदि किसी रिक्त पद का उसे प्रस्ताव किये जाने पर वह विधिमान्य कारणों के बिना, कार्यभार ग्रहण करने में विफल रहता है, कारणों की विधि मान्यता के सम्बन्ध में नियुक्ति अधिकारी का विनिश्चय अन्तिम होगा।

(2) किसी एक चयन के परिणामस्वरूप-

(क) सीधी भर्ती से नियुक्त व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता वही होगी, जैसी यथास्थिति आयोग या समिति द्वारा तैयार की गयी योग्यता सूची में दिखायी गयी हो;

(ख) पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता वही होगी, जो इस स्थिति के अनुसार कि पदोन्नति एकल पोषक संवर्ग से या अनेक पोषक संवर्गों से होती है यथास्थिति, नियम 6 या नियम 7 में दिये गये सिद्धान्तों के अनुसार आधारित की जाय।

(3) जहां किसी एक चयन के परिणामस्वरूप नियुक्तियां पदोन्‍नति और सीधी भर्ती सीधे भर्ती दोनों प्रकार से की जायें वहां पदोन्‍नत व्यक्तियों की सीधे भर्ती किये गये व्यक्तियों के सम्बन्ध में ज्येष्ठता, जहां तक हो सके दोनों स्रोतों के लिए विहित कोटा के अनुसार चक्रानुक्रम में (प्रथम स्थान पदोन्‍नत व्यक्ति का होगा) अवधारित की जाएगी।

दृष्टान्त

(1) जहां पदोन्‍नत व्यक्तियों और सीधी भर्ती किये गये व्यक्तियों का कोटा 1:1 के अनुपात में हो वहां ज्येष्ठता निम्‍नलिखित क्रम में होगी:-

प्रथम——————— पदोन्नत व्यक्ति;

द्वितीय——————–सीधी भर्ती किया गया व्यक्ति और इसी प्रकार आगे भी।

(2) जहां उक्त कोटा 1:3 के अनुपात में हो वहाँ ज्येष्ठता निम्‍नलिखित क्रम में होगी-

प्रथम———————पदोन्नत व्यक्ति;

द्वितीय से चतुर्थ तक——सीधी भर्ती किये गये व्यक्ति;

पांचवां——————–पदोन्नत व्यक्ति;

छठा से आठवां———–सीधी भर्ती किये गये व्यक्ति और इसी प्रकार आगे भी।

प्रतिबन्ध यह है कि-

(एक) जहां किसी स्रोत से नियुक्तियां विहित कोटा से अधिक की जाएं, वहां कोटा से अधिक नियुक्त व्यक्तियों को ज्येष्ठता के लिये उन अनुवर्ती वर्ष या वर्षों के लिये बढ़ा दिया जायेगा जिनमें कोटा के अनुसार रिक्तियां हों।

(दो) जहां किसी स्रोत से नियुक्तियां विहित कोटा से कम हों, और ऐसी न भरी गई रिक्तियों के प्रति नियुक्तियां अनुवर्ती वर्ष या वर्षों में की जाएं, वहां इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति किसी पूर्ववर्ती वर्ष की ज्येष्ठता नहीं पायेंगे किन्तु वह उस वर्ष की ज्येष्ठता पायेंगे जिससे उसकी नियुक्तियां की जाएं, किन्तु उनके नाम शीर्ष पर रखे जायेंगे, जिसके बाद अन्य नियुक्ति व्यक्तियों के नाम चक्रानुक्रम में रखे जायेंगे।

(तीन) जहां सेवा नियमावली के अनुसार, सुसंगत सेवा नियमावली में उल्लिखित परिस्थितियों में किसी स्रोत से बिना भरी गई रिक्तियां अन्य स्रोत से भरी जाएं और कोटा से अधिक नियुक्तियां की जायं वहां इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति उसी वर्ष की ज्येष्ठता पायेंगे मानों वे अपने कोटा की रिक्तियों के प्रति नियुक्त किए गए हों।

[2]नियम 8-क-अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों से सम्‍बन्धित किसी व्‍यक्ति को पारिणामिक ज्‍येष्‍ठता की हकदार

[***]

भाग-तीन

ज्येष्ठता सूची

नियम 9-ज्येष्ठता सूची का तैयार किया जाना

1- सेवा में नियुक्तियां होने के पश्चात यथासम्भव शीघ्र नियुक्ति प्राधिकारी इस नियमावली के उपबन्धों के अनुसार सेवा में मौलिक रूप से नियुक्त किये गये व्यक्तियों की एक अनन्तिम ज्येष्ठता सूची तैयार करेगा।

2- अनन्तिम ज्येष्ठता सूची को सम्बन्धित व्यक्तियों में आपत्तियां आमंत्रित करते हुए युक्तियुक्त अवधि का नोटिस देकर, जो अनन्तिम ज्येष्ठता सूची के परिचालन के दिनांक से कम से कम सात दिन की होगी, परिचालित किया जायेगा।

3- इस नियमावली की शक्तिमत्ता या विधिमान्यता के विरूद्ध कोई आपत्ति ग्रहण नहीं की जायेगी।

4- नियुक्ति प्राधिकारी युक्तिसंगत आदेश द्वारा आपत्तियों का निस्तारण करने के पश्चात् अन्तिम ज्येष्ठता सूची जारी करेगा।

5- उस संवर्ग की, जिनमें नियुक्तियां एकल पोषक संवर्ग से पदोन्‍नति द्वारा की जाय, ज्येष्ठता सूची तैयार करना आवश्यक नहीं होगा।

Footnote


[1] यह नियमावली दिनांक 20 मार्च, 1991 से प्रवृत्‍त है।

[2] नियम 8-क उ०प्र० सरकारी सेवक ज्येष्ठता (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2002, अधिसूचना संख्या-13/2/91-टीसी-का-1-2002, दिनांकित 18-10-2002 द्वारा जोड़ा गया तथा उसे 17-6-1995 से प्रभावी किया गया था किन्तु उ.प्र. सरकारी सेवक ज्येष्ठता (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2005, अधिसूचना संख्या-324/13-2-91-टी.सी.-का-1-2005, दिनांकित 13-5-2005 द्वारा उसे पूर्वगामी तिथि (17-6-1995) से ही विलोपित कर दिया गया तदोपरान्त उ.प्र. सरकारी सेवक ज्येष्ठता (तृतीय संशोधन) नियमावली, 2007, अधिसूचना संख्या-13/2/91-टी.सी.-का-1-2007, दिनांक 14-9-2007 द्वारा पुनः जोड़ा गया तथा उसे  17-6-1995 से प्रभावी किया गया था किन्तु उ.प्र. सरकारी सेवक ज्येष्ठता (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2012, अधिसूचना संख्या-13/2/91- टी.सी.-का-1-2012, दिनांकित 08-5-2012 द्वारा उसे पूर्वगामी तिथि (17-6-1995) से ही पुनः विलोपित कर दिया गया।