इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ग्रामसभा की भूमि और चकरोड पर अतिक्रमण के विरुद्ध सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम (PDPP Act-Prevention of Damage to Public Property Act) 1984 के अंतर्गत कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और अवैध है। ऐसे मामलों में राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत राजस्व अदालत में कार्रवाई की जा सकती है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने चकरोड अतिक्रमण भामले में लेखपाल की रिपोर्ट पर चल रहे आपराधिक केस को रद कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने भदोही निवासी ब्रह्मदत्त यादव की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।
लेखपाल ने औराई थाने में 16 दिसंबर 2022 को याची ब्रह्मदत्त यादव व अन्य के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3/5 के तहत एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया कि सर्वेक्षण में ग्रामसभा की भूमि के आस-पास और चकरोड का अतिक्रमण मिला है। आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद समन जारी किए गए। इसे आवेदक ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। तर्क दिया गया कि अतिक्रमण के संबंध में मुद्दा बेदखली की कार्रवाई में राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत तय किया जाना था। मुंशी लाल और अन्य के फैसले पर गौर करते हुए न्यायालय ने कहा कि 1984 के अधिनियम का उद्देश्य दंगों और सार्वजनिक हंगामे के दौरान होने वाली तोड़फोड़ और क्षति सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की गतिविधियों पर अंकुश लगाना था।