आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जल्द ही नया आयकर कानून लाने की घोषणा की थी और इसका मसौदा संसद में पेश किया जा चुका है। इस नए कानून में आयकर विभाग के अधिकारियों को दी गई शक्तियों में और बढ़ोतरी की गई है। जांच के दौरान अधिकारी करदाता के कंप्यूटर, फोन, ईमेल, इंटरनेट मीडिया अकाउंट समेत हर डिजिटल जानकारी को खंगाल सकेंगे।

दरअसल, अभी लागू आयकर कानून 1961 की धारा 132 में भी अधिकारियों को कर चोरी या संपत्ति छिपाने का शक होने पर लाकर तोड़ने, दरवाजा तोड़ने, सामान जब्त करने व संबंधित फाइल की जांच करने जैसे अधिकार दिए गए हैं। लेकिन उस समय डिजिटल फाइल तैयार नहीं होती थी, इसलिए अगले साल एक अप्रैल से लागू होने वाले नए कानून में हर डिजिटल सामग्री की जांच करने और उसे देखने का अधिकार दिया गया है।

छह दशक पुराने कानून को छोटा, आधुनिक और आसान बनाने के लिए इस नए कानून को लाया जा रहा है। नए आयकर कानून, 2025 के अनुसार, विभाग के अधिकारी जांच या तलाशी के दौरान करदाताओं के ईमेल सर्वर, आनलाइन निवेश अकाउंट्स, ट्रेडिंग और बैंक अकाउंट, इंटरनेट मीडिया अकाउंट, डिजिटल एप्लीकेशन सर्वर समेत अन्य चीजों की पूरी खोजबीन कर सकेंगे।

वैसे, मौजूदा कानून के तहत, आयकर अधिकारी लैपटाप, हार्ड डिस्क और ईमेल में एक्सेस की मांग कर रहे हैं, लेकिन यह विवाद का विषय है क्योंकि कानून में स्पष्ट रूप से इस तरह के उपकरणों या रिकार्ड को एक्सेस करने का जिक्र नहीं है। हालांकि, नए कानून में तलाशी के दौरान करदाता को अधिकारियों को अपने इलेक्ट्रानिक रिकार्ड और ‘वर्चुअल डिजिटल स्पेस’ का एक्सेस देना होगा। ‘वर्चुअल डिजिटल स्पेस’ में ईमेल सर्वर्स, बैंकिंग और ट्रेडिंग के अकाउंट्स, इंटरनेट मीडिया और क्लाउड सर्वर्स आदि शामिल हैं। अगर करदाता अधिकारियों को इनका एक्सेस देने से मना कर देता है, तो विभाग उनके सिस्टम ओवरराइड कर सकते हैं।

एआइ से रखी जा रही है नजर

जानकारों के मुताबिक आपके हर लेनदेन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से पहले से ही पढ़ा जा रहा है। तभी आपके 26एएस में एनुअल इंफार्मेशन स्टेटमेंट में आपके द्वारा किए गए सभी बड़े खर्च का ब्योरा साफ-साफ दिखता है। अब कमाई के हिसाब से कर नहीं देने वाले हजारों लोगों को हर साल विभाग नोटिस जारी कर रहा है।