इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिश्वत लेने के आरोपी दरोगा की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर बहाली का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उप्र अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 8 (2) (बी) के प्रावधानों के तहत आरोपों के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद बगैर विभागीय कार्यवाही के पुलिसकर्मी को बर्खास्त किया जाना गैरकानूनी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की एकल पीठ ने गौतमबुद्ध नगर के ईकोटेक थाने में तैनाती के दौरान रिश्वत लेने के आरोपी दरोगा गुलाब सिंह की ओर से बर्खास्तगी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की स्वीकार करते हुए दिया।
याची पर आरोप था कि वह एक मुकदमे की विवेचना के दौरान प्रकाश में आए आरोपी राजीव सरदाना से सार्वजनिक रूप से चार लाख रुपये रिश्वत ले रहे थे। इसी दौरान भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते ने उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद सूरजपुर थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर उसे जेल भेजा गया था। हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने के बाद वह बीते 12 मार्च को जेल से रिहा हुआ।
गिरफ्तारी के दिन ही याची को यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया गया कि उसे सार्वजानिक स्थान पर चार लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। इस कारण इस प्रकरण में जांच की आवश्यकता नहीं है। साथ ही उपनिरीक्षक द्वारा इस प्रकार के कृत्य से जनमानस में पुलिस विभाग की छवि धूमिल हुई है।
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए बगैर कारण बताओ नोटिस और बगैर विभागीय जांच के पारित बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया।
WRIT – A No. – 6249 of 2024 at Allahabad : Gulab Singh Vs. State Of Up And 3 Others
Date of Decision – 7/5/2024
Court Number – 37
Judgment Type – Final Non AFR
Coram – Hon’ble Salil Kumar Rai,J.
Petitioner’s Counsels – Anura Singh , Atipriya Gautam , Sr. Advocate and Vinod Kumar Mishra
Respondent’s Counsel – C.S.C.