इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी का हक सेवानिवृत्ति की उम्र पर नहीं, बल्कि सेवा के वर्षों की गणना पर निर्भर करता है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रयागराज के सरकारी सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज में तैनात रहीं अध्यापिका सेहरू निशा की याचिका पर दिया है।
याची ने 57 वर्ष की आयु में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद ग्रेच्युटी की मांग की थी। इसे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ग्रेच्युटी केवल उन्हीं को देय है, जिन्होंने साठ वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना है। राज्य सरकार की ओर से 14 दिसंबर 2011 को जारी शासनादेश का हवाला भी दिया गया। इसके मुताबिक दस वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी नहीं करने वाले कर्मचारी तब तक पेंशन के हकदार नहीं हैं, जब तक कि वे साठ वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं चुनते हैं।
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि ग्रेच्युटी का हक सेवानिवृति की उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि की गई सेवा के वर्षों की गणना के आधार पर तय होता है। कोर्ट ने जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को याची के मामले में पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।
WRIT – A No. – 6402 of 2024 at Allahabad : Sehrun Nisha Vs. State Of Up And 3 Others
Date of Decision – 7/5/2024
Court Number – 34
Judgment Type – Final AFR
Coram – Hon’ble J.J. Munir,J.
Petitioner’s Counsels – R.B. Singh
Respondent’s Counsel – C.S.C